बिहार के कुल 38 जिलों में से एक मधेपुरा चरों तरफ से कुल 6 जिलों से घिरा है.इसके उत्तर में अररिया तथा सुपौल,दक्षिण में खगड़िया तथा भागलपुर, पूरब में पूर्णिया और पश्चिम में सहरसा जिलें हैं.जिले का कुल क्षेत्रफल 1788 वर्ग किलोमीटर है.2 सब-डिवीजन,13 ब्लॉक तथा 13 अंचल से बने इस जिले की कुल आबादी 2001 की जनगणना के अनुसार 15 लाख 24 हजार 5 सौ 96 है.जिला 25°. 34 से 26°.07' अक्षांश तथा 86° .19' से 87°.07' देशांतर पर अवस्थित है.
9 मई 1981 को मधेपुरा एक जिला के रूप में सहरसा से अलग हुआ,इससे पूर्व 1 अप्रैल 1954 को सहरसा भागलपुर जिला से अलग होकर जिला बना था,वैसे मधेपुरा 3 सितम्बर 1945 से ही भागलपुर जिला के अंतर्गत सब-डिवीजन के रूप में था.
सृजन- 9 मई 1981
क्षेत्रफल- 1788 वर्ग किमी.
पटना से दूरी- 260 किमी.
प्रखंडों की संख्यां- 13
ग्राम पंचायत की संख्यां- 170
जनसंख्यां- 1526646
ग्रामीण जनसंख्यां- 1458679 (95.4%)
शहरी जनसंख्यां- 67967
प्रति व्यक्ति आय- 3346 रू०
(राज्य का- 5007,देश का-17833)
साक्षरता दर- 36.10
(राज्य का- 47.08,देश का- 64.8
महिला साक्षरता दर- 22.1 %
(राज्य का- 33.1 %)
गरीबी रेखा से नीचे आबादी- 51.8%
निम्न जीवन जीने वाले- 82.6 %
विश्वविद्यालय की संख्यां- 1
हाई स्कूल की संख्यां- 49
गर्ल्स हाई स्कूल की संख्यां- 6
प्राईमरी और मिड्ल स्कूल की संख्यां-1463
नए परिसीमन में मधेपुरा संसदीय क्षेत्र में मधेपुरा तथा सहरसा जिले के तीन-तीन विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इसमें आलमनगर, बिहारीगंज, मधेपुरा, सोनबरसा अजा, सहरसा और महिषी विधानसभा क्षेत्र आते हैं। मधेपुरा जिले में पहले पांच विधानसभा क्षेत्र थे, नए परिसीमन में कुमारखंड विधानसभा क्षेत्र का अस्तित्व समाप्त हो गया है. उदाकिशुनगंज का नाम बदल गया है और बिहारीगंज नया विधानसभा क्षेत्र बना है.पुराने संसदीय क्षेत्र से कुमारखंड,सिंहेश्वर तथा उदाकिशुनगंज विधानसभा क्षेत्र निकल गया है. सिंहेश्वर सुपौल संसदीय क्षेत्र में मिल गया है. नए परिसीमन में सहरसा जिले का सोनबरसा अजा, सहरसा तथा महिषी जुड़ा है. सोनबरसा अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित क्षेत्र बन गया है. पहले यह सुरक्षित नहीं था। इस संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 1464748 है.मधेपुरा के वर्तमान सांसद शरद यादव हैं. मधेपुरा जिले में 13 ब्लाक तथा 170 पंचायतें हैं. जिले की चौहद्दी 1788 वर्ग किलोमीटर है. मधेपुरा जिले की आबादी 1,526,646 है. इसमें 1,351,हिन्दू तथा 173,605 मुसलमान हैं जिसमे मुसलमानों की आबादी कुल आबादी का 11.4 प्रतिशत है. अनुसूचित जाति की आबादी 260,461 है,जो आबादी का 17.06 प्रतिशत है. मधेपुरा जिला पिछड़ा हुआ जिला माना जाता है।.इस जिले की साक्षरता दर 36.1प्रतिशत हैं और 55.36 प्रतिशत आबादी गरीबी रखा के नीचे बसती है. दलित समुदाय में खेतिहर मजदूरों की तादाद 88.1 प्रतिशत से अधिक है. जिले की प्रति व्यक्ति आय 3346 रुपए है. जिले के 76.50 प्रतिशत लोगों के पास टेलीफोन, रडियो ,साइकिल की सुविधा उपलब्ध नहीं है. शहरी आबादी सिर्फ 4.46 प्रतिशत है. 1.80 लाख हेक्टेयर भूक्षेत्र है,जिसमे 1.31 लाख हेक्टेयर में खेती होती है.जिले का 73.प्रतिशत क्षेत्र सिंचित है. मधेपुरा के बैंकों में 44165 लाख रुपए जमा हैं,जबकि बैंकों ने सिर्फ 18258 लाख रुपए का ऋण दिया है.मधेपुरा अनुमंडल की स्थापना 1845 में हुई थी.यह भी कोसी का बाढ़ प्रभावित रहा है.स्वतंत्रता आंदोलन में भी मधेपुरा का स्थान रहा है.मुरहो गांव में गोप सभा की स्थापना हुई थी,जिसके संस्थापक थे रासबिहारी मंडल.उनके पुत्र बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल बिहार के मुख्यमंत्री भी बने. मंडल आयोग के कारण भी वे जाने जाते हैं. विधानसभा के पहले चुनाव में मधेपुरा से शिवनंदन प्रसाद मंडल व सरयू चमार जीते थे। मधेपुरा सह सुपौल ग्रामीण से शेख जियाउर रहमान चुने गए. इस संसदीय क्षेत्र का अनूप लाल मेहता,ललित नारायण मिश्र,तुलमोहन राम, बी.पी.मंडल,राजेंद्र प्रसाद यादव, महावीर प्रसाद यादव, शरद यादव,लालू प्रसाद यादव,पप्पू यादव प्रतिनधित्व करते रहे हैं.(नक्शा साभार मैप्स ऑफ इंडिया डॉट कॉम)
मधेपुरा जिला मुख्यालय से ८ किमी उत्तर में अवस्थित श्रृंगी ऋषि का स्थल सिंघेश्वर स्थान मंदिर का सम्पूर्ण देश में अलग ही महत्त्व है.सिंघेश्वर का यह मंदिर मयगिरी पर्वत पर अवस्थित है.द्वापर में भगवान् विष्णु द्वारा यहाँ मंदिर का निर्माण कराया गया था.देश का पहला धार्मिक स्थल है सिंघेश्वर जहाँ देवता द्वारा निर्मित मंदिर है.
यहाँ हर किसी की मनोकामना पूर्ण होती है,इसीलिए यह मनोकामना लिंग के रूप में भी जाना जाता है.यहाँ का मंदिर ४ हजार वर्ष पुराना है.वराह पुराण के अनुसार भगवान् शिव को ढूंढते हुए देवराज इंद्र के साथ विष्णु और ब्रह्मा यहाँ पहुंचे तो भगवान् शिव एक सुन्दर हिरन के रूप में विचरण करने लगे थे.
तीनों अन्तर्यामी देवताओं ने इस हिरन को देख कर ही समझ लिया कि ये ही भगवान् शंकर हैं और उस हिरन को पकड़ने में सफल भी हुए.इंद्र ने हिरन के सिंग का अग्रभाग,ब्रम्हा ने मध्यभाग और विष्णु ने निम्नभाग पकड़ा.एकाएक सिंग तीन भाग में टूट कर विभाजित हो गया.तीनो देवताओं के हाथ में सिंग का एक-एक भाग रह गया और हिरन लुप्त हो गया.तभी आकाशवाणी हुई कि अब शिव नहीं मिलेंगे.देवताओं ने अपने-अपने हाथ में आये सिंग के भाग को पाकर ही संतोष कर लिया और सिंग को जिस स्थान पर स्थापित किया वही वर्तमान में सिंघेश्वर है.इस प्रकार इसका सिंघेश्वर स्थान नाम सार्थक हुआ.
सिंघेश्वर मंदिर में जो शिवलिंग है उसे किसी ने स्थापित नहीं किया बल्कि शिवलिंग स्वयं अवतरित हुए हैं.स्वयं अवतार रहने एवं देवता द्वारा निर्मित मंदिर होने के कारण कोशी के उफान में भी मंदिर ज्यों का त्यों रह गया.अंतत: नदी को ही धारा बदलनी पडी जो नदी अब भी मंदिर से पूरब करीब २ किमी अलग हटकर बह रही है.
राजा दशरथ को पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही थी तो उम्र के चौथे अवस्था में सिंघेश्वर आये और पुत्रेष्ठी यज्ञं किये तदोपरांत राम,लक्ष्मण,भरत व शत्रुघ्न जैसे चार पुत्र की प्राप्ति हुई,यहाँ यज्ञं के दौरान सात पोखर भी राजा दशरथ द्वारा खुदवाए गए थे जो अब भी मौजूद है तथा उसी पोखर के नाम पर सतोखर नाम के गाँव की उत्पत्ति हुई है.यहाँ जो श्रद्धालु शुद्ध मन से मनोकामना लेकर आते है,उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है.
(2010 में जिले के ही एक व्यक्ति ने चीन की एक युवती से सिंघेश्वर मंदिर में शादी की.)
सिंघेश्वर में प्रत्येक वर्ष शिवरात्री के अवसर पर सरकार द्वारा एक पखवारे का मेला भी लगाया जाता है जहाँ देश-विदेश के श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते है.झारखंड अलग होने के बाद सिंघेश्वर को बिहार का देवघर भी कहा जाता है.यहाँ का मेला सरकार का सोनपुर के बाद दूसरा सबसे बड़ा मेला है.धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सिंघेश्वर मंदिर में होने वाली शादियाँ पवित्र व अटूट मानी जाती है.इसीलिये देश के कोने-कोने से एवं पडोसी देश चीन और नेपाल के लोग यहाँ अपने पुत्र और पुत्री की शादी करने के लिए बारहों मास आते हैं.सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मंदिर में होने वाली शादी में लड़का पक्ष और लड़की पक्ष को अलग-अलग शुल्क देने पड़ते हैं,जिसके एवज में सिंघेश्वर न्यास परिषद् द्वारा रसीद दी जाती है जिसे न्यायालय भी शादी की वैधता का सबूत मानती है.बिहार सरकार सिंघेश्वर को पर्यटन स्थल भी घोषित कर चुकी है. यहाँ पर्यटन विभाग द्वारा एक सुसज्जित होटल भी बनवाया गया है जहाँ बाहर से आने वाले श्रद्धालु ठहरते है.बिहार में पटना महावीर मंदिर के बाद राजस्व प्राप्ति में सिंघेश्वर मंदिर का स्थान दूसरा है.सरकार सिंघेश्वर के विकास के लिए कटिबद्ध है.रूद्र नारायण यादव
I will not attend Mrs. Gandhi phone call; please go and tell the Prime Minister that I will not resign. I will face the Assembly and the consequences of voting. I do not want any of the high positions that she has offered to me.
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D;ksafd vkt Hkkjr dh jktuhfr dh /wjh eaMy vk;ksx dh vuq'kalk gSA lE;d leh{kksijkUr U;k;ewfrZ ih- os.kq xksiky us bls ^fiNM+ksa ds fy;s vktknh dh ?kks"k.kk i=k dk gSA मैंने ILLUSTRATED WEEKLY OF INDIA के14 October , 1990 में अपने लेख In the Eye of the Storm में मंडल आयोग के रिपोर्ट को "पिछडे वर्ग का बाइबल" कहाथा.1992&93 ds vius फैसले esa loksZPp U;k;ky; us eaMy vuq'kalk esa fdlh folaxfr dks ugha ik;k bls lgh ,oa lafo/ku lEer djkj nsdj ljdkj dks vfoyEc ykxw djus dk vkns'k fn;s gSA
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